
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने कैलाश मानसरोवर जाने का वैकल्पिक रास्ता ढूंढ निकाला है। सैकड़ों साल पहले तीर्थयात्री इसी रास्ते का प्रयोग करते थे। 60 किलोमीटर लंबा यह रास्ता भारतीय क्षेत्र में पड़ता है।
इसे खोजे जाने के बाद अब इसका विकास वैकल्पिक रास्ते के रूप में किया जायेगा। मुख्य मार्ग पर भूस्खलन होने या उत्तराखंड की ऊपरी पहाड़ियों में हिमपात की स्थिति में इसका उपयोग किया जा सकता है। आईटीबीपी ने नए रास्ते पर ट्रेकिंग भी कर के देख लिया है। बल के प्रमुख आरके भाटिया ने बताया कि जवानों ने ऐतिहासिक नक्शों, दस्तावेजों और पत्रों से प्राप्त संदर्भों के सहारे पूरे सफर को एक किताब की शक्ल दी है। ‘कुमाऊं और कैलाश’ नाम की इस किताब का गुरुवार को दिल्ली में विमोचन किया गया। इस साल 29 मई से शुरू हुई यात्रा 24 सितंबर तक चलेगी। करीब 960 तीर्थयात्रियों ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है इस यात्रा के दौरान तीर्थयात्री कैलाश पर्वत और तिब्बत में स्थित मानसरोवर झील की परिक्रमा करते हैं।

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