Tuesday, January 18, 2011

जल्द खुलेगा स्विस-बैंक में जमा ’काले धन’ का राज़

लंदन:अहम गोपनीय दस्‍तावेज लीक कर अमेरिका की नाम में दम करने वाली वेबसाइट ’विकीलीक्स’ को स्विस बैंक में काम कर चुके और गोपनीय खातों के रहस्यों से वाकिफ एक अधिकारी ’रूडोल्फ एल्मर’ ने दो हजार बैंक खातों का ब्योरा सौंपा है। अपने खुलासों से तहलका मचाने वाली वेबसाइट विकीलीक्स अब स्विस बैंकों में दुनिया भर के पूंजीपतियों और राजनेताओं के अकूत धन वाले गोपनीय बैंक खातों का भंडाफोड़ करने की फ़िराक में लग गई है। एल्मर ने लंदन में एक प्रेस कांफ्रेंस में इन बैंक खातों की जानकारियां दो सीडी में विकीलीक्स को सौंपी।
एल्‍मर का दावा है कि इसमें अमेरिका, इंग्‍लैंड सहित कई एशियाई देशों के राजनेताओं और बिजनेसमैन के बारे में सूचनाएं हैं।इस बीच, जर्मन बैंक ने भी एक सूची सौंपी है, जिसमें 28 भारतीयों के नाम हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इस एल्‍मर की ओर से सौंपी गई सूची में भारत से काला धन स्विस बैंक में जमा कराने वालों के नाम हैं या नहीं। स्विस अखबार ‘डेयर जॉनटाग’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 1990 से 2009 के बीच स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले लोगों के नाम ही लिस्ट में शामिल हैं।

इस खबर के बाद से भारत में राजनीतिक सरगर्मियों ने ज़ोर पकड लिया है। देश की सरकार चलाने वाली पार्टी ’कांग्रेस’ और प्रमुख विपक्षी दल ’बीजेपी’ इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गई हैं। बीजेपी, केंद्र सरकार पर स्विस बैंक के खाताधारकों के नाम जगजाहिर करने का दबाव बनाने में लग गई है। भाजपा का दावा है कि भारत सरकार को जर्मनी की सरकार ने स्विस बैंक के खाताधारकों की सूचना पहले ही सौंप दी है। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
भाजपा प्रवक्‍ता रविशंकर प्रसाद ने नई दिल्‍ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हम इस बैंक के भारतीय खाताधारकों के नाम जानना चाहते हैं और पूरा देश भी यही चाहता है कि सार्वजनिक संपत्ति को लूट कर स्विस बैंक में जमा करने वालों का पर्दाफाश होना चाहिये। इसलिए हम उम्‍मीद करते हैं कि ये नाम जल्‍द से जल्‍द लोगों के सामने आने चाहिए जिससे देश की जनता यह जान सके कि किसने देश की सेवा की, या खुद को अमीर बनाया।’भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है जिसने सत्‍ता में दोबारा वापसी के बाद 100 दिनों के भीतर विदेशों में जमा भारतीय लोगों के काला धन को देश लाने का वादा किया था।

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