
राज्यसभा की 18 सीटों के लिए गुरुवार को पांच राज्यों में हुए चुनावों में विधायकों ने पार्टी व्हिप का खुलकर उल्लंघन किया। सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग बिहार में हुई जहां इसी साल चुनाव होने हैं। राजस्थान में जाने-माने वकील राम जेठमलानी भाजपा के टिकट पर आसानी से ऊपरी सदन पहुंच गए, जबकि कर्नाटक में उद्योगपति विजय माल्या की भी भाजपा ने जीत में भरपूर मदद की। बिहार में पासवान के अलावा राजद-लोजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव, जदयू के रामचंद्र प्रसाद सिंह और उपेंद्र कुशवाहा, भाजपा के राजीव प्रताप रूडी चुनाव जीत गए। कर्नाटक से बिहार किस्मत आजमाने गए उद्योगपति बीजी उदय को कुल दो वोट मिले। उन्हें समर्थन देने वाले बसपा उम्मीदवारों में भी चार ने रामकृपाल यादव का साथ दिया। भाजपा के बनवारी राम ने राजद को वोट दे दिया, जबकि राजद के दो विधायकों ने जदयू का साथ दिया। जदयू के दो विधायक मतदान से गैरहाजिर रहे। राजस्थान में मामला दिलचस्प रहा। जेठमलानी को उम्मीद से ज्यादा वोट मिले। उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने अपने विधायकों को नजरबंद कर रखा था। भाजपा के अलावा कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी जेठमलानी का साथ दिया। माकपा ने गैरहाजिर रहकर उनकी मदद की। इससे जेठमलानी को चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता और निर्दलीय उम्मीदवार संतोष बागड़ोदिया बुरी तरह हार गए। राजस्थान से कांग्रेस के आनंद शर्मा और अश्क अली टाक व भाजपा के वीपी सिंह भी जीत गए। कर्नाटक में कांग्रेस के ऑस्कर फर्नाडिस और भाजपा के एम वेंकैया नायडू व ए मंजूनाथ तो चुनाव जीते ही, साथ ही जेडीएस समर्थित विजय माल्या को भी भाजपा ने पूरा समर्थन दिया।
प्रसिद्ध उद्योगपति विजय माल्या, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नाडीस कर्नाटक से राज्यसभा चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार विजय माल्या पर सबकी निगाहें टिकी थे। इसके बावजूद वह शुरू से ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे थे और अंतत: उसे साबित भी कर दिखाया। वह इससे पहले 2002 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। माल्या, नायडू और फर्नाडीस के अलावा भाजपा के अयानूर मंजूनाथ ने भी जीत दर्ज की। एकमात्र असफल रहे उम्मीदवार हैं कांग्रेस के टी. वी. मारूती। चौथी सीट के लिए उनके और माल्या के बीच मुकाबला था। माल्या को जनता दल (सेक्यूलर) के 27, एक निर्दलीय और भाजपा के दूसरी वरीयता के मत प्राप्त हुए। कांग्रेस की हार सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने संघ नेतृत्व के निर्देश को ताक पर रख भाजपा ने माल्या का साथ दिया। झारखंड में धीरज साहू व झामुमो के केडी सिंह जीत गए, मगर भाजपा के अजय मारू हार गए। बिहार में कांग्रेस के राजद-लोजपा के साथ न आने से राजद के पांच विधायकों ने झारखंड में झामुमो उम्मीदवार केडी सिंह को वोट दिया। उड़ीसा में सत्ताधारी बीजद के तीनों उम्मीदवार प्यारे मोहन महापात्र, एसएन बेहेरा और षष्टम ओल्डा चुनाव जीत गए। भाजपा ने गैरहाजिर रहने का एलान किया था, मगर उसके एक विधायक भीमसेन चौधरी ने वोट डाला|
निर्दलीय उम्मीदवार विजय माल्या पर सबकी निगाहें टिकी थे। इसके बावजूद वह शुरू से ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे थे और अंतत: उसे साबित भी कर दिखाया। वह इससे पहले 2002 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। माल्या, नायडू और फर्नाडीस के अलावा भाजपा के अयानूर मंजूनाथ ने भी जीत दर्ज की। एकमात्र असफल रहे उम्मीदवार हैं कांग्रेस के टी. वी. मारूती। चौथी सीट के लिए उनके और माल्या के बीच मुकाबला था। माल्या को जनता दल (सेक्यूलर) के 27, एक निर्दलीय और भाजपा के दूसरी वरीयता के मत प्राप्त हुए। कांग्रेस की हार सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने संघ नेतृत्व के निर्देश को ताक पर रख भाजपा ने माल्या का साथ दिया। झारखंड में धीरज साहू व झामुमो के केडी सिंह जीत गए, मगर भाजपा के अजय मारू हार गए। बिहार में कांग्रेस के राजद-लोजपा के साथ न आने से राजद के पांच विधायकों ने झारखंड में झामुमो उम्मीदवार केडी सिंह को वोट दिया। उड़ीसा में सत्ताधारी बीजद के तीनों उम्मीदवार प्यारे मोहन महापात्र, एसएन बेहेरा और षष्टम ओल्डा चुनाव जीत गए। भाजपा ने गैरहाजिर रहने का एलान किया था, मगर उसके एक विधायक भीमसेन चौधरी ने वोट डाला|

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