नौ महीने तक कोख में रखने के बाद मां कैसे अपने जिगर के टुकड़े को दूसरे के हाथों चंद रुपयों के लिए बेच देती है। यह एक बड़ा सवाल है लेकिन ऐसी मां अपने बच्चों को बड़ी ही मजबूरी में बेंचती हैं। बैंगलुरु में पिछले 6 महीने में ऐसे 20 मामले सामने आए हैं जिनमें दूध पीते मासूम बच्चों को बेचा गया है। सबसे बड़ी बात, यहां पर लोग किसी शौक के लिए बच्चे को नहीं बेचते बल्कि गरीबी के दंश से ये लोग इतने कमजोर हो गए हैं कि बच्चे तो पैदा कर लेते हैं लेकिन इनका पालन-पोषण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, अर्थात इनके सामने दो ही रास्ते होते हैं, या तो बच्चे को पैदा होने के बाद मार दें या फिर किसी दूसरे के हाथों में सौंप दें।
पुलिस ने कर्नाटका के तितपुर गांव में पिछले दिनों कई महिलाओं को गिरफ्तार किया जो अपने बच्चे का सौदा सिर्फ 5 से 8 हजार रुपए में कर रही थी। पूछताछ में इन महिलाओं ने अपने गरीबी का हवाला देते हुए कहा कि हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है ऐसे में हम बच्चे को कैसे पाल सकते हैं। महिलाओं ने बताया कि हम अपने बच्चों को ऐसी परिवार को देते हैं जिनको बच्चे की तलाश होती है। इनसे हमें अच्छा पैसा भी मिलता है और हमारा बच्चा भी अच्छी जगह पहुंच जाता है।
आंकड़ों की माने तो देश में 8 लाख दलाल मौजूद हैं जो अब तक 2 लाख से ज्यादा बच्चों का सौदा कर चुके हैं। ये दलाल बीच में पड़कर बच्चों का सौदा करवाते हैं साथ ही बच्चे की मां को थोड़ा बहुत पैसा देकर किनारे कर देते हैं। दलाल चूंकि दबंग होते हैं इसलिए गरीब लोग ज्यादा एतराज भी नहीं कर पाते। मासूम बच्चों का सौदा देहव्यापार में सबसे ज्यादा किया जाता है और इसका बाजार न सिर्फ कर्नाटका बल्कि उड़ीसा, बिहार, प. बंगाल आदि राज्यों में सबसे ज्यादा फैला है।
कर्नाटक सरकार के महिला एंव बाल कल्याण मंत्री नरेन्द्र स्वामी ने कहा कि मासूम बच्चों का सौदा एक गंभीर मामला है, हमारी सरकार इस धंधे को रोकने और इसमें शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई का मन बना रही है।
" सरकार तो अभी मन ही बना रही है, कार्यवाही की उम्मीद की भी जाए तो कैसे "
: न्यूज़लाइन एजेंसीज़

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