
नयी दिल्ली - सर्वशिक्षा अभियान के नाम पर सरकार लाखों करोड़ रुपये खर्च कर रही है, मगर उससे कोई खास नतीजा निकलता नजर नहीं आ रहा. बच्चे स्कूलों तक जरूर पहुंचते तो ज़रूर हैं, मगर उनके शैक्षणिक स्तर में सुधार बिल्कुल शून्य है । आलम तो यह है कि एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक प्राइमरी के 94 % बच्चे ए-बी-सी-डी तक ठीक से नहीं जानते |
योजना आयोग द्वारा कराये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 94 % बच्चे अंग्रेजी के अल्फाबेट्स तक नहीं पहचानते | योजना आयोग द्वारा यह सर्वक्षण केंद्र सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण परियोजना सर्वशिक्षा अभियान के प्रभाव के आकलन के लिए करवाया गया है |
इस सर्वेक्षण के मुताबिक 6 % बच्चों ने यह टेस्ट पास करने में सफलता पाई है, मगर चंडीगढ़, मध्यप्रदेश और असम का एक भी बच्चा इस टेस्ट को पास नहीं कर पाया. ऐसा नहीं है कि सिर्फ अंग्रेजी की ऐसी बुरी हालत है, 58 % बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा के अक्षर भी ठीक से नहीं पहचान पाते. 20 % बच्चों में तो अंकों को पहचानने तक की क्षमता नहीं है |
ऐसे में सर्व शिक्षा अभियान के "सब पढ़ें, सब बढ़ें" के नारे बेहद खोखले नज़र आते हैं । सरकार की "सब पढ़ें, सब बढ़ें" की पहल अपने क़द में बेहद बौनी होती जा रही है । सरकार एंव विभाग द्वारा इस समस्या को गंभीरता से ना लिया गया तो, वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश का भविष्य घोर अंधकार में पंहुच चुका होगा ।
: न्यूज़लाइन एजेंसीज़

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