
नई दिल्ली/रायपुर : छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बलीराम कश्यप का गुरुवार तड़के रायपुर में निधन हो गया। वह 75 साल के थे। बीजेपी के दिवंगत सांसद बलिराम कश्यप को श्रध्दांजलि दी गई और उनके निधन के कारण लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने गुरुवार सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही कश्यप को श्रद्धांजलि दी।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदस्यों को बलिराम कश्यप के गुरुवार को आकस्मिक निधन की सूचना देते हुए दिवंगत नेता को गरीबों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए काम करने वाला एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता बताया। उन्होंने कहा कि कश्यप 12, 13 और 14वीं लोकसभा के भी सदस्य थे।
वह 1972 से 1992 तक तत्तकालीन मध्य प्रदेश विधानसभा के भी सदस्य रहे। उन्होंने राज्य सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। वह विभिन्न संसदीय समितियों के भी सदस्य रहे। कश्यप बस्तर लोकसभा सीट से चार बार सांसद चुने गए थे। वह अविभाजित मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। सदन में संसद सदस्यों ने खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया।
रायपुर विधानसभा में आज कश्यप के निधन का उल्लेख करते हुए विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक ने कहा कि कश्यप पहली बार 1972 में विधायक चुने गए और उसके बाद उन्होंने राजनीति में लंबा सफ़र तय किया है|
कौशिक ने कहा कि कश्यप अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछडे वर्गों के अधिकारों की रक्षा तथा कल्याण के लिए जीवन पर्यन्त संघर्षरत रहे. उनका जीवन आदर्श और सिध्दांतों लिए समर्पित रहा. कश्यप ने अपना पूरा राजनैतिक सफ़र अपनी शर्तों’ पर तय किया तथा बुनियादी मान्यताओं, नैतिक मूल्यों के सामने कभी समझौता नहीं किया. उन्होंने बस्तर तथा संपूर्ण छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कश्यप के निधन से देश तथा राज्य ने एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक और समाजसेवी खो दिया।
सदन के नेता मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बलीराम कश्यप को श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए कहा कि कश्यप बस्तर की राजनीति के लौहपुरूष थे. वे हमेशा किसानों की भलाई के लिए सोचते थे और उनका पूरा जीवन अपने क्षेत्र के विकास कार्य के लिए समर्पित रहा। सिंह ने कहा कि बस्तर के विकास की ललक के कारण ही उन्होंने क्षेत्र में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के इस्पात संयंत्र के लिए दबाव डाला और आज इसके फ़लस्वरूप क्षेत्र में 12 हजार करोड़ रूपए की लागत का विशाल इस्पात संयंत्र निर्माणाधीन है।
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