
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की रिहाई की उम्मीद एक बार फिर जग गई है। शनिवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में सरबजीत मामले को दोबारा खोलने के लिए एक याचिका दायर की गई है।
सरबजीत पर लाहौर, कासूर और फैसलाबाद में बम धमाके करने का आरोप है। उन धमाकों में 14 लोग मारे गए थे। लाहौर हाई कोर्ट ने वर्ष 2003 के जनवरी माह में उसे चार अलग-अलग मामलों में दोषी करार देकर मौत की सजा सुनाई थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी सजा को बरकरार रखा।
सरबजीत के वकील ए. शेख ने सरबजीत पर आतंकी होने के आरोपों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर पुनर्विचार करने की मांग की है। शेख का कहना है कि वर्ष 1990 के बम विस्फोट के पीछे वास्तव में सरबजीत नहीं मनजीत सिंह था, लेकिन गलतफहमी के कारण सजा सरबजीत को हो गई। वर्ष 2010 में भारत में मनजीत को भारत में गिरफ्तार किया गया था। मनजीत एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी है। शेख ने कहा कि मनजीत ही असली दोषी है, वह कई बार पाकिस्तान आ चुका है। वर्ष 1990 में जब विस्फोट हुआ था तब भी वह पाकिस्तान में था।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन ने उसकी फांसी को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित रखा है। अधिकारियों के मुताबिक सरबजीत को माफी केवल राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ही दे सकते हैं। उधर सरबजीत के परिवार वालों का कहना है कि वह भूल से सीमा के पार चला गया था।
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