Friday, June 25, 2010

औषधालयों की बिगड़ती स्थिति


बिलासपुर: खस्ताहाल नगर निगम के औषधालयों में दवा बांटने के लिए पैसे नहीं हैं, पर डाक्टर, कम्पाउंडर व अन्य कर्मचारियों के वेतन पर प्रति वर्ष 37 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। नगर निगम के कुछ चिकित्सकों के विषय में आम शिकायत मिली कि वे अस्पताल में कम प्रायवेट प्रेक्टिस में अधिक तत्पर रहते हैं। निगम के चिकित्सकों ने कुदुदंड, चांटीडीह चौक व चुचुहियापारा में प्रायवेट क्लीनिक खोल रखे हैं। निगम के औषधालयों के सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तथा शाम को 4.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुलने का समय निर्धारित किया गया है।मुंगेली नाका स्थित स्वर्गीय शिवबख्श राय स्मृति होम्योपैथिक चिकित्सालय में एक व्यक्ति १२ से पहले ही सोते हुए मिला, जबकि शाम को अस्पताल बंद था मेलापारा चांटीडीह में नगर आयुर्वेदिक औषधालय के लिए नगर निगम ने पक्की बिल्डिंग बनाई है। यहां के चिकित्सक डा. अश्विनी शुक्ला का डेढ़ वर्ष पूर्व निधन हो गया, और प्यून गौरीशंकर अस्पताल का संचालन कर रहा है। मौके पर बंद मिले औषधालयों में दवाओं की कमी की भी कमी है। अब राज्य शासन द्वारा निगम के औषधालयों की खामियों को सुधार कर स्टाफ सहित चिकित्सा विभाग को सौंपने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। सोचने वाली बात यह है कि जब पर्याप्त सुविधा ही नहीं है, तो कर्मचारियों को बैठे बिठाए वेतन देने का क्या औचित्य है?

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