
उड़ीसा की एक अदालत ने कंदमाल में दंगे भड़काने के आरोप में स्थानीय भाजपा विधायक मनोज प्रधान को सात साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है | अदालत ने प्रधान को 2008 में कंधमाल में हुए सांप्रदायिक दंगों में भूमिका निभाने का दोषी पाया है |
यह फ़ैसला स्थानीय फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज, 'एस के दास' ने सुनाया है | सज़ा 27 अगस्त 2008 को बुदेदी गांव में एक ईसाई परिखिता दिगल की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुनाई गई.
प्रधान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (दंगे भड़काने), 148 (घातक हथियारों को लेकर दंगे भड़काने), 149 (गैर कानूनी तरीके से इकट्ठा होना), 201 (सबूत नष्ट करने), 302 (हत्या), 341 (जोर जबरदस्ती), 436 (किसी के घर पर हमला करने के लिए आग या विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल) के तहत मामला दर्ज किया गया |
उड़ीसा के जी उदयगिरी से भाजपा विधायक प्रधान ने कहा, "न्यायपालिका के प्रति मेरे मन में काफी सम्मान है. फ़ैसले के खिलाफ हम ऊंची अदालत में जाएंगे."
अदालत ने इस मामले में एक और व्यक्ति प्रफुल्ल मलिक को दोषी ठहराया, उन्हें दो से सात साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई | प्रधान और मलिक दोनों को ही 6,000 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया. प्रधान को इसके पहले कंधमाल मामले से जुड़े सात मामलों से बरी कर दिया गया था | अदालत ने इस मामले में एक और व्यक्ति प्रफुल्ल मलिक को दोषी ठहराया, उन्हें दो से सात साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई गई |
: न्यूज़लाइन एजेंसीज़

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