
अमृतसर. - हमारे देश भारत में कोई भी काम पूरा होने में अर्सों लग जाते हैं । हमारे देश में एक ही रिवाज चलता है, सरकारें बदल जाती हैं, फ़ैसले अटक जाते हैं । देश कि इस दयनीय स्थिति को देखकर लोग यही कहते हैं कि "भगवान ही है जो इस देश को चला रहा है, ये सरकारों के बस का काम नहीं है" । सरकारी लेटलतीफी का ताजा उदाहरण अमृतसर का है जहां पर जलियांवाला बाग कांड के शहीदों को 91 साल बाद अधिकृत रूप से शहीद का दर्जा नसीब हुआ है ।
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन शहीद हुए लोगों को स्वतंत्रता सेनानी मानने के लिए सरकार को तीस साल लग गए। लंबी लड़ाई के बाद शहीदों के परिजनों को शुक्रवार को सर्टिफिकेट जारी कर सम्मान से नवाजा गया। इस कांड में अमृतसर समेत देश के अन्य हिस्सों के सैकड़ों लोग ब्रिटिश हुकूमत की गोलियों का शिकार हुए थे। उस दौरान जो सूची तैयार हुई उसी में मामला उलझकर रह गया। 2000 के बाद मामले ने तूल पकड़ा और केंद्र सरकार ने 19 दिसंबर 2008 को शहीदों को स्वतंत्रता सेनानी माना।
: न्यूज़लाइन एजेंसीज़

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