
इन दिनों, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में 26/11/08 को मुंबई के ताज होटल पर हुए आतंकवादी हमले से जुडे कुछ सवालों पर अध्ययन किया जा रहा है। हार्वर्ड में इन बातों पर अध्ययन किया जा रहा है, जैसे आतंकवादी हमले के दौरान, होटल ताज के कर्मचारी, अधिकारी बाहर निकलने के सभी रास्तों की जानकारी होने के बावजूद अपनी जान बचाने के लिए क्यों नहीं भागे और क्यों उन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर होटल में ठहरे सैंकड़ों मेहमानों की जान बचाने का फैसला किया।
'प्रोफेसर रोहित देशपांडे के ताज मुंबई में आतंक: ग्राहक केंद्रित नेतृत्व' नामक इस मल्टीमीडिया केस अध्ययन में हमले के दौरान वहां के कर्मचारियों की ओर से प्रदर्शित वीरता एवं सूझबूझ का अध्ययन किया गया है।
यह अध्ययन मुख्यत: इस बात पर गौर करता है कि किस कारण ताज के कर्मचारियों ने होटल के अतिथियों की सुरक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी और कैसे इस तरह की निष्ठा एवं समर्पण को अन्यत्र भी दोहराया जा सकता है। ग़ौरतलब है कि, इस हमले के दौरान अतिथियों की जान बचाने के प्रयास में जुटे ताज होटल के एक दर्जन कर्मचारी मारे गए थे।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एचबीएस वर्किंग नॉलेज फोरम में यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि वरिष्ठ प्रबंधक तक भी कर्मचारियों के इस प्रकार के अदम्य साहस की व्याख्या कर पाने में सक्षम नहीं हैं। देशपांडे ने कहा कि कर्मचारियों को बाहर निकलने के पीछे के सभी रास्ते मालूम थे और वे होटल से आसानी से भाग सकते थे, लेकिन वे अतिथियों की मदद के लिए वहीं ठहर गए।
उन्होंने कहा, हालांकि मानव की सहज बुद्धि ऐसे मौकों पर भाग जाने को ही बाध्य करती है, लेकिन इन लोगों ने सही काम किया और साहस का परिचय दिया। अतिथियों की जान बचाने के दौरान उनमें से कई कर्मचारियों ने अपनी जान की क़ुरबानी दी थी। इस शोध में होटल के कर्मचारियों के साथ साक्षात्कार एवं हमले के फुटेज शामिल हैं।
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