
नई दिल्ली : दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने नई टेलीकॉम पॉलिसी को और उदार बनाने की बात कही है, उन्होंने कहा कि विलय एवं अधिग्रहण से जुड़े मौजूदा कड़े नियमों को नई टेलीकॉम पॉलिसी में नरम बनाया जाएगा।गौरतलब है कि यह पॉलिसी साल के अंत तक पेश की जानी है। इस कदम का लक्ष्य 14 खिलाड़ियों वाले टेलीकॉम बाजार में बहुप्रतीक्षित कंसॉलिडेशन लाना है। सिब्बल ने कहा, 'लेकिन प्रतिस्पर्धियों की तादाद हर सर्किल में छह से नीचे जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।'
सिब्बल ने कहा कि टेलीकॉम लाइसेंस 20 साल के बजाय हर दस साल के लिए रिन्यू किए जाने चाहिए और कंपनियों को इन लाइसेंस के एक्सपायर होने से कम से कम 30 महीने पहले नए परमिट के लिए आवेदान दाखिल कराने चाहिए। पिछली घोषणा दोहराते हुए सिब्बल ने कहा कि नई पॉलिसी में टेलीकॉम लाइसेंस के आवंटन को मोबाइल स्पेक्ट्रम से अलग किया जाना चाहिए।
भारतीय टेलीकॉम उद्योग में सभी विवादों की जड़ में स्पेक्ट्रम ही था। उन्होंने कहा कि सरकार बाहरी एजेंसियों से उद्योग की ओर से स्पेक्ट्रम यूसेज का नियमित ऑडिट कराएगी और ऑपरेटरों के बीच रेडियो फ्रीक्वेंसी का बंटवारा जैसे अन्य प्रस्ताव भी नई पॉलिसी का हिस्सा होंगे। सरकार ने उस बाहरी एजेंसी पर फैसला नहीं किया है, जो ऑडिट का काम करेगी और सिब्बल का कहना है कि यह कोई निजी खिलाड़ी, भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) या दूरसंचार नियामक ट्राई हो सकता है।
दूरसंचार मंत्री ने जोर दिया कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों को बाजार की ओर से तय होने वाली मैकेनिज्म के आधार पर स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान करने को कहेगा, जो इस बात का संकेत है कि मंत्रालय नियामक ट्राई की उन हालिया सिफारिशों को अमली जामा पहनाएगा, जिनमें कहा गया था कि जीएसएम दूरसंचार कंपनियों को पिछली तारीख से अतिरिक्त एयरवेव के लिए भुगतान करना होगा, जो उनके पास है। 11 फरवरी को सिफारिशें जारी करने के तुरंत बाद जीएसएम ऑपरेटरों ने इस बात का सुझाव देने के लिए ट्राई की आलोचना की थी कि मोबाइल फोन कंपनियों ने हर अतिरिक्त एयरवेव यूनिट के लिए 4,572 करोड़ रुपए की एकमुश्त राशि वसूली जाए।
फिलहाल, मोबाइल परमिट स्टार्ट-अप एयरवेव के साथ समूह में आते हैं। मंत्री ने एयरवेव से जुड़े सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए सुधारों की एक पूरी श्रृंखला का प्रस्ताव किया, जिसमें नेशनल स्पेक्ट्रम एक्ट शामिल है, जो इस संसाधन के आवंटन का जिम्मा संभालेगा। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज पाटिल इस अधिनियम का मसौदा तैयार करेंगे।
No comments:
Post a Comment