Wednesday, March 9, 2011

नहीं टूटेगा गठबंधन, डीएमके-कांग्रेस का सीटों पर समझौता


नई दिल्ली : कांग्रेस-डीएमके के बीच खटास पैदा करने वाले तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों की सीटों को लेकर दोनों पार्टियों में समझौता हो गया है। कांग्रेस नेता तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को डीएमके के केंद्रीय मंत्रियों एम. के. अझागिरी और दयानिधि मारन के साथ हुई मीटिंग में दोनों दलों में समझौता होने की घोषणा की।

क़रीब एक हफ़्ता चले इस ड्रामे के ज़रिए ’डीएमके’ पार्टी ने यूपीए गठबंधन को तोड़ने की धमकी देकर कांग्रेस के लिये ख़तरे की घंटी बजाने की पूरी कोशिशें की थीं। लेकिन डीएमके को अपना फ़ैसला बदलना पड़ा। आख़िरकार 13 अप्रैल को होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा मांगी गईं उसकी मनचाही 63 सीटें, डीएमके को छोड़नी पड़ीं।

ग़ुलाम नबी आजाद ने कहा, डीएमके और कांग्रेस नेताओं ने तय किया है कि कांग्रेस 63 सीटों पर चुनाव ल़डेगी। हम साथ ल़डेंगे और एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने में सफल होंगे। डीएमके कांग्रेस को विधानसभा की 234 सीटों में से 63 सीटें देने के लिए तैयार हो गई है। मंगलवार को सीटों के बंटवारे पर सहमति की घोषणा से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर एक घंटे तक बैठक की गई। डीएमके और कांग्रेस को फिर से एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अझागिरी ने आजाद की बातों की पुष्टि की। लेकिन इस बारे में उन्होंने विस्तृत जानकारी नहीं दी।

उधर चेन्नई में पार्टी के करीब 3000 कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री करूणानिधि ने कहा कि गठबंधन के व्यापक हितों को देखते हुए उनकी पार्टी ने बलिदान किया है और कांग्रेस को अतिरिक्त सीटें देने के लिए तैयार हुई है। उन्होंने इसे "खुशी का दिन" बताया और भरोसा जताया कि जीत दर्ज करने के लिए गठबंधन के साथ नई ऊर्जा के साथ चुनाव लड़ा जाएगा। करूणानिधि ने कांग्रेस के लिए एक-एक सीट छो़डने के लिए अपनी दो प्रमुख सहयोगी पार्टियों पीएमके तथा इंडियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने कांग्रेस और डीएमके के बीच दूरी पैदा करने की कोशिश करने पर मीडिया के एक वर्ग की आलोचना भी की। ज्ञात हो कि डीएमके ने पहले कहा था कि कांग्रेस द्वारा 13 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए अपनी पसंद की 63 सीटों की मांग करना जायज नहीं है।

डीएमके के तीखे तेवर देखते हुए यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी ने भी अपनी ज़िद पर अड़ गईं थीं। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने डीएमके अध्यक्ष करुणानिधि से साफ-साफ कह दिया था कि सरकार चाहे जाए या रहे वह अब डीएमके के आगे समर्पण नहीं करेंगी। सोनिया गांधी ने कहा कि वह डीएमके की गिरावट देख कर दंग हैं और अब डीएमके को ही उनकी बात माननी होगी।

डीएमके ने कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए हर चाल खेली थी। उसने अपने मंत्रियों को दिल्ली बुला कर इस्तीफा देने की नाटक खेला और एक ओर प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह से वार्ता भी चालू रखी। आखिरकार इतनी गिरावट देख कर सोनिया गांधी ने डीएमके से कहा कि उन्होंने देश की सबसे बड़ी रा्ट्रीय पार्टी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है इसलिए अब आगे कोई समझौता नहीं होगा। डीएमके को कांग्रेस से रिश्ता रखना है तो उसे बात माननी ही होगी। सोनिया के इस अल्टीमेटम बाद डीएमके को अपने घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा और इस कांग्रेस-डीएमके विवाद में कांग्रेस अध्यक्षा के स्वाभिमान की जीत हुई।

डीएमके ने विधानसभा चुनावों के लिए छह पार्टियों से समझौता किया है। उसने विधानसभा की 234 सीटों में से 113 सीटें अपने सहयोगियों को दिया है। डीएमके ने कांग्रेस को (63), केएमके को (7), वीसीके को (10), पीएमके को (30) और आईयूएमएल को (2) सीटें दी हैं।

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