
नई दिल्ली : दो दशक पुराने बोफोर्स घोटाला मामले में इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला खत्म करने के लिये सीबीआई द्वारा दायर की गई अपील को मंज़ूर कर लिया गया है। दिल्ली की तीस हाजरी कोर्ट ने ये फ़ैसला सुनाया। केस में आगे सुनवाई की गुंजाइश नहीं होने की बात कहते हुए कोर्ट ने केस बंद कर दिया है और सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट मंज़ूर कर ली है।
21 फरवरी को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव ने 70 वर्षीय क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला खत्म करने की सीबीआई की अपील पर अपना आदेश चार मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब है कि क्वात्रोच्चि मुकदमे का सामना करने के लिये आज तक भारत के किसी भी अदालत में पेश नहीं हुआ। कांग्रेस ने इस बारे में टिपण्णी करते हुए कहा कि बोफोर्स केस झूठ का पुलिंदा था। वहीं याचिकाकर्त्ता अजय अग्रवाल का कहना है कि इस फैसले से गलत संदेश जाएगा और वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
मजिस्ट्रेट विनोद यादव के समक्ष दाखिल लिखित दलील में अजय अग्रवाल ने कहा कि क्वात्रोक्की का बेटा मासिमो क्वात्रोच्चि अभी भी हर महीने 8 से 10 बार भारत की यात्रा करता है। पहले उसके पिता बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे और अब इस काम को वह संभाल रहा है। अदालत शुक्रवार को इस दलील पर संज्ञान लेते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। दरअसल, सीबीआई ने अक्तूबर 2009 में अदालत से क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला खत्म करने की इजाजत मांगी थी. सीबीआई ने इसके लिए यह दलील दी थी कि उसपर जारी अभियोजन विभिन्न कारणों से अनुचित है।
इन कारणों से क्वात्रोच्चि का प्रत्यर्पण कराने में सीबीआई को दो बार नाकाम होना पडा- जांच एजेंसी 2003 में उसे मलेशिया से प्रत्यर्पित कराने में तथा 2007 में अर्जेंटीना से प्रत्यर्पित कराने में नाकाम रही है। बोफोर्स तोप करार में कथित तौर पर दलाली प्राप्ति को लेकर क्वात्रोच्चि के खिलाफ एक आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
सीबीआई ने अक्टूबर 2009 में कोर्ट से इस केस को वापस लेने की अनुमति मांगते हुए कहा था कि कई कारणों को ध्यान में रखते हुए क्वात्रोच्चि पर कई सालों से चल लगातार चल रहा यह केस न्यायोचित नहीं है। गौरतलब है कि सीबीआई क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण में दो बार असफल रही है- पहले 2003 में मलेशिया से और फिर 2007 में अरजेंटीना से।
गौरतलब है कि क्वात्रोच्चि के खिलाफ बोफोर्स तोप सौदे में रिश्वत देने का आरोप है। सीबीआई ने जनवरी 1990 में उसके खिलाफ पहला मामला दर्ज किया था और अक्टूबर 1999 और अक्टूबर 2000 उसके खिलाफ दो चार्जशीट दाखिल की गई थी।
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