
नई दिल्ली : आज, सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शिवसेना के सुप्रीमो बाल ठाकरे सहित कुल 21 लोगों को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नेताओं से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। यह नोटिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका के बाद दिया गया है, जिसमें सीबीआई ने इन नेताओं को बाबरी मस्जिद ढहाने की साजिश रचने के आरोप में अभियुक्त बनाने की इजाजत मांगी थी।
इस मामले में इलाहाबाद होई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इन नेताओं के खिलाफ मस्जिद गिराने के साजिश रचने के आरोप खारिज कर दिए थे, जिसे सीबीआई ने 9 महीने बाद पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि बाबरी विध्वंस मामले में दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि मस्जिद गिराने के लिए इन तमाम लोगों ने आपराधिक साजिश रची थी, जिसके आधार पर सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय से इन लोगों के खिलाफ अपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश मांगा था।
6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थीं। इन शिकायतों में से पहली शिकायत तो अज्ञात लोगों के खिलाफ थी, जबकि दूसरी में आडवाणी के अलावा 19 और लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों में उमा भारती, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, साध्वी ऋतंभरा और महंत अवैद्य नाथ का नाम भी शामिल था।
सीबीआई की विशेष अदालत ने 2001 में इन नेताओं पर लगे आरोप हटाने का फैसला दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला इसलिए नहीं चलाया जा सकता क्योंकि वे बाबरी मस्जिद के आसपास नहीं बल्कि रामकथा कुंज के पास में थे। इस फैसले को सीबीआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 20 मई 2010 को अपने फैसले में लखनऊ बेंच ने निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा था।
सीबीआई ने लखनऊ बेंच के फैसले के 9 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशन डाली थी। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका दायर करने के लिए हुई देरी को माफ करने की भी अपील की थी। नियम के मुताबिक, सीबीआई को हाई कोर्ट के फैसले के 90 दिनों के भीतर यानी पिछले साल 19 अगस्त तक याचिका दायर करनी चाहिए थी। गौरतलब है कि ६ दिसंबर, ९९९२ को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में मौजूद अयोध्या में विवादास्पद बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था। इस मामले में बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और शिवसेना के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया था।
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