
नई दिल्ली : देश में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला क़रार दिये गये एस-बैंड स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिये आयोग का गठन कर दिया गया है। इस घोटाले के कारण विपक्ष की आलोचनाओं का शिकार हो रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के व्यावसायिक धड़े एंट्रिक्स और एक निजी कम्पनी के बीच हुए करार मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन किया है।
उल्लेखनीय है कि इस करार से करदाताओं को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने बताया कि यह आयोग एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। दो सदस्यीय इस आयोग में योजना आयोग के सदस्य बी. के. चतुर्वेदी और अंतरिक्ष आयोग के सदस्य रोडेम नरसिम्हा हैं।
उधर, इसरो ने एक बयान जारी कर कहा, "जांच आयोग को अपनी सिफारिश प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपने का निर्देश दिया गया है।" ज्ञात हो कि अंतरिक्ष मंत्रालय सीधे प्रधानमंत्री के अधीन है।
बयान में कहा गया है, "आयोग एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए करार की तकनीकी, व्यावसायिक और वित्तीय पहलुओं की समीक्षा करेगा और साथ ही वह इस करार को मंजूरी देने के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं की भी जांच करेगा। आयोग मंजूरी प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने और उसमें बदलावों के सम्बंध में सलाह भी देगा।"
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर 20 वर्ष का करार हुआ था। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) का आरम्भिक आकलन है कि इस करार से सरकारी खजाने को कम से कम दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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