
मुंबई : आख़िरकार वो दिन आ ही गया जिसका इंतज़ार शायद पूरे भारत को था। सबकी निगाहें इस फ़ैसले पर टिकी हुईं थीं। मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले में दस पाकिस्तानी आंतकियों में से एकमात्र जीवित बचे आतंकी आमिर अजमल कसाब को बम्बई उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को सुरक्षित रखते हुए आज मौत की सजा सुना दी।
ग़ौरतलब है कि विशेष अदालत ने मई 2010 में कसाब को आतंकी हमलों में शामिल होने के लिए कई मासूमों की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई थी। उसके बाद कसाब ने अपनी सजा-ए-मौत के खिलाफ बम्बई उच्च न्यायालय में अपील की थी। आज उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका को ठुकराते हुए विशेष अदालत के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी और उसे मौत की सजा दिए जाने का फैसला सुनाया। इसी मामले से जुड़े दो अन्य आरोपी फहीम अंसारी और सबाहुद्दीन अहमद को बरी कर दिया है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ़, इस मामले में कई सवाल खडे होते दिख रहे हैं। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ महरूफ रजा के मुताबिक़ अजमल कसाब को फांसी की सजा बरकरार रखकर हाई कोर्ट ने पूरी तरह से उचित निर्णय लिया है। लेकिन उन्होंने सवाल खडे करते हुए पूछा। क्या हम कसाब की गिरफ्तारी का हमारे हित में इस्तेमाल कर पाए ? क्या हम कसाब के भारतीय संबंधों का पता लगा पाए ? जाहिर है कि इतना बड़ा हमला बिना कुछ भारतीयों से सपोर्ट के नहीं हुआ होगा लेकिन हमारी जांच एजेंसी इसका खुलासा नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि कसाब के भारतीय संबंधों का खुलासा जरूरी है ताकि देश विरोधी लोगों के चेहरे सामने आएं।
ये कुछ बातें किसी भी तरह से गले नहीं उतरतीं कि पहले तो ये पाकिस्तानी आतंकवादी सारे हथियार लेकर कैसे हमारे देश में घुसे। फिर, दुनिया भर में भारत के नामचीन होटलों में गिने जाने वाले और सुरक्षा समेत जैसी हर वीआईपी सुविधा से लैस ’होटल ताज मुंबई’ या फिर यूं कहा जाए कि ऐसी जगह जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, वहां ये पाकिस्तानी आतंकवादी बग़ैर किसी संबंधों के इतना अस्लाह बारूद लेकर कैसे प्रवेश कर गये।
हमारे देश के लिये घातक साबित हुईं इन बातों की जानकारी ना तो शायद कभी इस हमले के आरोपी अजमल कसाब से ली गई और ना ही इन सवालों का जवाब हमारी किसी जांच एजेंसी, हमारे क़ानून विशेषज्ञ, और ना ही हमारे देश के राजनेताओं के पास है।
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