
मिस्र में हुस्नी मुबारक सरकार के पतन के बाद अरब देशों में मानो बदलाव की बयार बहने लगी है। अब एक साथ तीन देशों में लोग सरकार बदलने के लिये सड़कों पर उतर आये हैं। बहरीन, यमन और लीबिया में लोगों ने सरकार विरोधी आंदोलन तेज़ कर दिया है। प्रदर्शन के दौरान कईं लोगों के मारे जाने की ख़बर है।
गुरुवार को बहरीन की राजधानी मनामा के पर्ल चौक पर पुलिस ने सुबह तीन बजे प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और रबड़ की गोलियां चलाईं जिससे चार लोगों के मारे जाने की सूचना है और 95 लोग घायल भी हुए हैं। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक पुलिस ने बिना चेतावनी भीड़ पर गोलियां चलाईं जिससे भगदड़ मच गई। बहरीन में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक कुल छह लोग मारे गए हैं। झड़पों के बाद पूरे शहर में पुलिस को तैनात कर दिया गया है।
लीबिया में भी विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईँ जिसमें चार लोग मारे गए। देश में इंटरनेट पर पाबंदी का विरोध कर रहे लोगों ने आक्रोश दिवस का एलान किया है। लंदन से चलाई जा रही एक वेबसाइट के मुताबिक लीबिया के नेता मुआम्मर गद्दाफी के शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सुरक्षा बलों ने गोलियां चलाईं।
हिंसा में कम से कम चार लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल हैं। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स सॉलिडैरिटी के मुताबिक प्रदर्शनों में 13 लोग मारे गए हैं. यूरोपीय संघ और अमेरिका ने लीबिया के अधिकारियों से हिंसा से बचने की अपील की है और अभिव्यक्ति की संवतंत्रता की मांग की है।
उधर एक और अरब देश यमन में भी पिछले सात दिन से विरोध प्रदर्शन चरम पर हैं। बुधवार को पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठियां बरसाईं। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं जो तीस साल से भी ज्यादा समय से सत्ता में बने हुए हैं.
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के करीबी दोस्त सालेह को पद से हटाना आसान नहीं होगा। लेकिन मिस्र में हुए बदलाव के बाद यहां पर भी बदलाव की बात को नकारा नहीं जा सकता है।
न्यूज़लाईन नेटवर्क ब्यूरो
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