
गांधी नगर: टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा का नैनो को बंगाल से उठाकर सानंद में स्थापित करने का फैसला गुजरात राज्य की सफलता में मील का पत्थर साबित हुआ है। रतन टाटा ने 2007 के वाइब्रैंट गुजरात समिट में भाग तो लिया था लेकिन वे उससे खुश नहीं थे। उसके बाद अक्टूबर 2008 में नैनो प्लांट को बंगाल से उठाकर सानंद लाया गया जिसके पीछे कॉरपोरेट लॉबीइस्ट नीरा राडिया का हाथ था।
नैनो का सानंद आना नरेन्द्र मोदी और गुजरात के लिए भी एक लैंडमार्क था। साथ ही रतन टाटा के इस एक निर्णय से मोदी की छवि बदल गई।
बिजनेस एनालिस्ट सुनील पारेख के मुताबिक, सबसे सस्ती कार होने के कारण नैनो को दुनिया भर में पब्लिसिटी मिली और हर किसी ने जानना चाहा कि यह कहां बनती है। तब गुजरात राज्य का नाम सस्ती कारें बनाने वाले डेस्टीनेशन के रुप में उभरा।
हालांकि नैनो की बिक्री बेशक उस रफ्तार से नहीं हो रही है जिससे होनी चाहिये। लेकिन इसने नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक कद को काफी बढ़ा दिया है, जिसका फायदा उन्हें अगले चुनाव में भी मिलेगा।
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