बीजिंग: चीन ने तिब्बतियों के धर्म गुरु करमापा का चीनी जासूस होने से इंकार किया है। पिछले दिनों करमापा के मठ से करोड़ों की विदेशी मुद्रा बरामद होने के बाद उसके चीनी जासूस होने पर संदेह किया गया था। चीन का कहना है कि करमापा को चीनी जासूस कहना यह जताता है कि भारत को अब भी चीन पर पूर्ण रुप से भरोसा नहीं है।
करमापा के ऑफिस पर छापे को लेकर भारतीय मीडिया में आई खबरों पर चीन का कहना है कि , '17वें करमापा पहले ऐसे जीवित बुद्ध हैं जिन्हें चीन की केंद्रीय सरकार ने 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद अपनी पुष्टि और स्वीकृति दी थी।' इतना ही नहीं करमापा को सर्वोच्च तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा और चीनी सरकार का समर्थन भी हासिल है।
करमापा का वास्तविक नाम उग्यान त्रिंगले डोरजी है और वह जनवरी 2000 में चौदह वर्ष की उम्र में चीन से भाग कर आए थे। तभी से वह धर्मशाला स्थित मठ में रह रहे हैं। उनकी संदिग्ध गतिविधियों पर पहले से ही निगाह रखी जा रही थी। गौरतलब है कि उनके पास से साढ़े छह करोड़ की मुद्रा मिलने के बाद से उनसे पूछताछ की जा रही है।
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