Saturday, January 29, 2011

करमापा का सच और हमारी विफ़लता

न्यूज़लाईन विशेष :बौद्ध गुरु करमापा उग्येन दोरजे के मठ से करोड़ों रूपये की विदेशी मुद्रा आख़िर कहां से और कैसे आई? क्या करमापा चीनी जासूस हैं? ये कुछ सवाल ऎसे हैं जिनका जवाब देशहित में नितांत आवश्यक है। दरअसल करमापा पर चीनी जासूस होने का आरोप यूं ही नहीं लग रहा है। करमापा को चीन का बेहद करीबी माना जाता है।

आश्रम में रखी करोड़ों की विदेशी मुद्रा का खुलासा भी तब हुआ जब हिमाचल पुलिस ने ऊना के रहने वाले दो लोगों को एक करोड़ रुपए के साथ गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये पैसे लेकर वो करमापा दोरजे के आश्रम जा रहे थे। जब पुलिस ने तफ्तीश आगे बढ़ाई तो पता चला कि आश्रम से हवाला कारोबार चल रहा है जिसका सीधा संबंध दिल्ली के मजनूं के टीला इलाके से है।

बौद्ध गुरु करमापा उग्येन दोरजे पहले भी सवालों के घेरे में रहे हैं। जब करमापा उग्येन और उनके गुरु भाई रिम्पोछे 2000 में चीन से भागकर भारत पहुंचे थे तो उन पर चीन का जासूस होने का शक किया गया था। सरकार ने रिम्पोछे को तो सात दिन में भारत छोड़ने का भी आदेश दे दिया था। लेकिन करमापा को हिमाचल के धर्मशाला में शरण दी गई थी। तब से लेकर आज तक कई बार उन पर चीन के लिये जासूसी करने की बात सामने आती रही है। लेकिन उच्च स्तर से कभी भी इसकी ख़ुफ़िया जांच नहीं कराई गई।

करमापा उग्येन को दलाई लामा और पंचेन लामा के बाद तीसरे नंबर का तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु माना जाता है। अपनी नियुक्ति के बाद से ही करमापा विवादित रहे हैं। हालांकि जांच एजंसियां करमापा से पूछताछ में लगी हैं लेकिन अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है। करमापा का सच जो भी हो, लेकिन एक बार पूरी तरह साफ़ हो गई है कि हम एक बार फ़िर आंतरिक सुरक्षा के मुहाने पर विफ़ल हुए हैं।
ख़ालिद हसन
मुख्य संपादक, न्यूज़लाईन

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