
रांची. हिंदपीढ़ी के रांची पब्लिक स्कूल में हुई ये वारदात साफ़ बयान करती है कि हमारे देश की युवा पीढ़ी किस दिशा में आगे बढ़ रही है ।
रांची के स्कूल में अक्तूबर 2009 से नौकरानी का काम कर रही 15 वर्षीय युवती ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने के बाद मौक़े पर पहुंची पुलिस ने युवती के शव को क़बज़े में लेकर पोस्ट्मार्टम के लिए रिम्स भेज दिया है ।
" युवती को मोबाइल पर बात करने से रोक देना, इस वारदात की वजह बना "
प्राचार्या के मुताबिक़, हाल ही में उषा ने एक मोबाइल फोन खरीदा था, जिससे वह देर रात तक किसी साजिद नामक लडके से घंटों बातें करती रहती थी। इस कारण वह सुबह में काफी देर से जगा करती थी। उसकी इस आदत से आजिज आकर प्राचार्या ने उसका फोन जब्त कर लिया। 1 फ़ोन ज़ब्त होने के बाद, युवती ने तुरंत दूसरे फ़ोन का इंतेज़ाम भी कर लिया था |
महज़ 15 साल की उमर में उषा के सिर पर प्यार का भूत सवार होने लगा था | उषा का साजिद नामक लड़के के साथ इश्क़ परवान चढ़्ने लगा था |
उषा की मां को इस पूरे मामले से अवगत करा दिया गया था । घटना से 1 दिन पहले, उसकी मां ने स्कूल आकर अपनी बेटी को जमकर डांटा था और ठीक से रहने की नसीहत भी दी थी। इसके बाद उषा ने अपने मोबाइल से बात कर साजिद को सारी घटना सुना दी ।
रात में हुई पूरी घटना के बाद, अगली सुबह, जब स्टाफ़ के लोगों ने कमरे में सो रही उषा को उठाना चाहा तो उषा का शव फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया |
" हमारे देश में ना जाने कितनी उषा जैसी लड़कियां हैं, जो पढ्ने-लिखने की उमर में इश्क़ के चक्कर में पडकर अपना भविष्य बरबाद कर रहीं हैं "
" इसकी मुख्य वजह है मोबाइल-फ़ोन नामक ख़तरनाक वाइरस " अगर आज माता-पिता द्वारा इस ओर ध्यान या ग़ौर नहीं किया गया, तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश का भविष्य, ये युवा पीढ़ी उस अंधकार में पहुंच जाएगी, जहां से लौट पाना मुश्किल ही नहीं, नामुम्किन हो जाएगा । और फिर रांची जैसी वारदात होना आम बात हो जायेगा ।
: न्यूज़लाइन एजेंसीज़

It should be mobile mania not mobile fobia.
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