26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल आतंकी अजमल कसाब की मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ याचिका पर मुंबई हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा है। तीन महीने तक बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आज पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की सजा-ए-मौत के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर अपना फैसला सात फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
कसाब को 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में उसकी भूमिका को लेकर मौत की सजा सुनायी गई है। न्यायाधीश रंजना देसाई और न्यायाधीश आर.वी. मोरे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उस पर आतंकवादियों को हमलों का निशाना बनाए जाने वाली जगहों के मानचित्र उपलब्ध कराने का आरोप है।
सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने यह कहते हुए कसाब को सुनायी गई मौत की सजा को न्यायोचित ठहराया कि उसने आतंकवादी हमले में भाग लेकर जघन्य अपराध किया है जिसमें 166 लोग मारे गए थे। कसाब को मौत की सज़ा की चुनौती देने वाली इस याचिका पर अब फ़ैसला सात फ़रवरी को आयेगा।
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