
देहरादून : बाबा रामदेव की स्वाभिमान यात्रा पूरी तरह से विवादों से घिर चुकी है। योग गुरू, काले धन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के कारण लगातार कांग्रेस के निशाने पर आते जा रहे हैं। बाबा को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाने और राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना के कारण लगातार कांग्रेसी नेताओं के शाब्दिक बाणों का शिकार होना पड रहा है। बाबा के इस आन्दोलन से बौखलाए कांग्रेस के एक सांसद ने तो योग गुरू को धमकी दे डाली थी और अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया था।
कांग्रेस और योग गुरु स्वामी रामदेव के बीच युद्ध अब रफ़तार पकडने लगा है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा बाबा रामदेव की संपत्ति पर सवाल उठाए जाने के बाद अब कांग्रेस स्वामी रामदेव को उनकी कर्मभूमि उत्तराखंड मे ही घेरने की तयारी कर रही है।
टिहरी से कांग्रेस के विधायक किशोर उपाध्याय ने बाबा रामदेव की संपत्ति और गतिविधियों की सीबीआई जांच की मांग की है। उत्तराखंड कांग्रेस के नेता अब इस मामले में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखने की तैयारी कर रहे हैं। विधायक ने बताया कि स्वामी रामदेव ने उत्तराखंड को अपनी कर्मभूमि बना यहां अपना योगआश्रम शुरु किया। उस वक्त जब हमारी सरकार थी तो हमने कहा था कि रामदेव सरकार द्वारा मिल रही रियायतों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अब हालात बद से बदतर हो गए हैं।
बाबा रामदेव पर सवाल दागते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि खुद को योगगुरु कहने वाला रामदेव को राजनीति से क्या मतलब है। बाबा रामदेव अपने आश्रम में मजदूरों का शोषण कर करोड़ों रुपए बना रहे हैं। पंतजलि योगपीठ में काम कर रहे मजदूरों से काम ज्यादा लिया जाता है और वेतन कम दिया जाता है। कई सरकारी डॉक्टर वहां अवैध रूप से काम कर रहे हैं, इन सब बातों की भी जांच होनी चाहिए।
जो व्यक्ति देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की बात कर रहा है वो यह भी तो बताएं की उसके अपने आश्रम में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। वो खुद भी कहते हैं कि दान में मिली रकम का वो राजनीतिक दल के निर्माण में इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत स्वाभीमान आंदोलन में उनके ट्रस्ट का पैसा इस्तेमाल होता है। क्या ट्रस्ट के पैसे का राजनीतिक उपयोग किसी भी तरह से जायज है ?