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Friday, April 8, 2011

अन्ना अड़े, जेल भरो आंदोलन 13 से



नई दिल्ली: भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जन लोकपाल कानून की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे और केंद्र सरकार के बीच चौथे दिन भी गतिरोध जारी है।

अन्ना हजारे ने लोगों से कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी इस आंदोलन को वे स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई समझें। साथ ही उन्होंने लोगों से 13 अप्रैल को जेल भरो आंदोलन करने का भी आह्वान किया है। अन्ना ने पहले 12 अप्रैल को जेल भरो आंदोलन करने का ऐलान किया था लेकिन उस दिन रामनवमी होने के कारण आंदोलन को एक दिन और टाल दिया गया।

गौरतलब है कि अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल लाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। अन्ना चाहते हैं कि ऐसा कानून बने, जिसके तहत भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों को तय समय सीमा के भीतर आसानी से दंडित किया जा सके। अन्ना चाहते हैं कि जो कमिटी इस बिल पर काम करे, उसमें आधे लोग गैर-राजनीतिज्ञ हों। अभी सरकार जैसा बिल तैयार कर रही है, उसमें भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के बच निकलने के चोर रास्ते और मामलों के लंबा खिंचने की तमाम संभावनाएं हैं।

Thursday, March 10, 2011

डीएमके-काग्रेस में सीटों का करार, महज़ एक तमाशा


चेन्नई : यूपीए सरकार के लिये ख़तरे की घंटी बजाने वाले कांग्रेस-डीएमके के बीच सीटों के बंटवारे को अन्नाद्रमुक प्रमुख जे. जयललिता ने एक तमाशा क़रार दिया है। जयललिता ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि पर आरोप लगाते हुए कहा कि करुणानिधि ने गठबंधन तोड़कर सरकार से हटने की धमकी उस समय दी जब उनकी पार्टी का हित प्रभावित हो रहा था। जयललिता के मुताबिक़, करुणानिधि ने ये राजनीतिक ड्रामा पार्टी के हितों के मद्देनज़र खेला है ना कि जनता के हितों के लिये।

जयललिता ने कहा कि करुणानिधि ने संप्रग द्वितीय सरकार में द्रमुक के लिए कैबिनेट सीट को लेकर काग्रेस के साथ गतिरोध होने के कारण 2009 में भी गठबंधन से हटने की धमकी दी थी। उन्होंने एक बयान में कहा कि द्रमुक अध्यक्ष ने अंतरराज्यीय नदी जल या भारतीय मछुआरे या केंद्र की ओर से ईंधन मूल्यों में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर इस तरह का कदम नहीं उठाया।

ग़ौरतलब है कि डीएमके और काग्रेस के बीच 13 अप्रैल को होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को सीटों के बंटवारे पर आपसी समझौता हो गया है। क़रीब एक हफ़्ते चले राजनीतिक ड्रामे के दौरान कई उतार चढ़ाव आए। लेकिन आख़िरकार, डीएमके को झुकना पड़ा और काग्रेस को उसकी मनचाही 63 सीटें मिलीं जबकि द्रमुक 121 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

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