Thursday, July 21, 2011

ख्वाजा की दरगाह में दम घुटने से बच्ची की मौत




अजमेर: सुफी संत ख्वाजा मोहनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में भीड़ में दबकर ग्यारह वर्षीय एक बच्ची की मौत हो गई। दरगाह में बच्ची के भीड़ से दबकर मरने से दरगाह परिसर में हलचल मच गई। ख्वाजा की दरगाह में भीड़ से दबकर मरने का यह पहला हादसा है।

उत्तर प्रदेश के गोड़ा जिले से नजीर अहमद अपनी पत्नी व बच्ची मोना को लेकर अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत के लिये आये थे। गुरुवार के दिन जब वह अपने परिवार को लेकर दरगाह में ख्वाजा के पास अपने अकीदत के फूल पेश करने के लिये पहुंचे तो दरगाह में भारी भीड़ व धक्का मुक्की में बच्ची मोना का दम घुटने लगा। मोना रोई लेकिन भीड़ में उसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया उसके बाद वह बेहोश हो गई फिर परिवार व अन्य जावरीन दरगाह से बाहर निकले। मोना ने इस बीच कब दम तोड़ दिया किसी को भी पता नहीं चला।

गुरुवार को ख्वाजा के दरगाह में जाने के लिये बेहद छोटे दरवाजे हैं और लगभग बीस गुणा तीस वर्गफिट की दरगाह में एक चौथाई हिस्सा ही जावरीन के जियारत के लिये है जिसमें हज़ारो जावरीन खचाखच भरे रहते है। दरगाह में कहने को एयर कंडीशन बने है लेकिन भारी भीड़ के चलते जावरीन को राहत नहीं मिलती। खादिमो की संख्या अंजुमन के नायाब सदर हाजी सय्यद कमालुद्दीन चिश्ती के मुताबिक दरगाह में बच्ची की मौत का कारण बच्ची की दमे की बिमारी है जिसकी दुआ के लिये मोना को अजमेर लाया गया था। परिजनों ने भी बच्ची का पोस्ट मार्टम कराने से साफ इंकार कर दिया और बच्ची के शव को लेकर अजमेर से चले गये। दरगाह के नाजिम अबदुल मजीद का मानना है कि दरगाह को बड़ा किया जाने की जरुरत है।

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