
नई दिल्ली : दुनिया भर से विरोध की मार झेल रहे लीबिया के तानाशाह शासक मुअम्मर गद्दाफ़ी ने अब भारत से मदद की गुहार लगाई है। अपनी इस मांग को मनवाने के लिये गद्दाफ़ी ने अपनी तेल कंपनियों में भारत को साझीदारी देने की पेशकश की है और बदले में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा है। गद्दाफी ने लीबिया की राजधानी त्रिपोली में भारत के राजदूत से मुलाकात में यह पेशकश की है।
भारत के अलावा, उन्होंने चीन और रूस के राजदूतों से भी मुलाकात की। गद्दाफी ने तीनों राजदूतों को कहा कि लीबिया में विद्रोह शुरू होने के बाद से पश्चिमी तेल कंपनियां भाग रही हैं। लीबिया में तेल का उत्पादन कम हो रहा है। ऐसे में इन कपंनियों की हिस्सेदारी भारत, चीन व रूस ले सकते हैं। बदले में वे लीबिया सरकार को समर्थन दें।
ग़ौरतलब है कि अफ्रीकी देशों के तेल संसाधनों में हिस्सेदारी के लिए भारत को लगातार चीन से प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है। पर ज्यादा निवेश की मजबूरी के चलते वह इस मामले में पिछड़ रहा है।
लीबिया में भारत के राजदूत एम. मनिमेकलाई और गद्दाफी की मुलाकात की दिल्ली में सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की है। पर सूत्रों ने बताया कि लीबियाई नेता ने भारतीय राजदूत को धन्यवाद देने के लिए बुलाया था। यह धन्यवाद अमेरिका और यूरोपीय संघ की ओर से लीबिया पर आयद प्रतिबंध का विरोध करने के लिए दिया गया।
भारत अब तक लीबिया पर आर्थिक प्रतिबंध के खिलाफ रहा है। भारत के मुताबिक़, जनता को मुश्किल में डालने वाला कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। अगर किसी देश के शासक का विरोध किया जा रहा हो तो इसकी सज़ा उस देश की जनता को नहीं दी जानी चाहिये। भारत लीबिया को नो फ्लाई जोन घोषित करने या उसके खिलाफ सैन्य ताकत के इस्तेमाल का भी विरोध करता रहा है। जबकि ब्रिटेन और फ्रांस लीबिया को नो फ्लाई जोन बनाने की वकालत करते रहे हैं।
No comments:
Post a Comment