
विश्वकप 2011 के ‘महामुकाबले’ में भारत द्वारा दिये गये 261 रनों के लक्ष्य को पकिस्तान पूरा नहीं कर पाया और 49.5 ओवर में 10 विकेट के नुकसान पर वह केवल 231 रन ही बना सका। इस जीत के साथ ही भारत ने पाकिस्तान को 29 रनों से हराकर सह-मेजबान श्रीलंका से खिताबी मुकाबले में भिड़ने का हक पाया।
पाक के सलामी बल्लेबाज कामरान अकमल और मोहम्मद हफीज ने टीम को अच्छी शुरुआत देते हुए नौ ओवर में 44 रन बना लिए। नौंवे ओवर की आखिरी गेंद पर जहीर खान ने युवराज के हाथों अकमल [19] को लपकवाकर भारत को पहली सफलता दिलाई। कामरान के लौटने के बाद हफीज ने असद शाफिक के साथ पारी को आगे बढ़ाया और स्कोर 70 रन तक ले गए। एक ओवर मेडन फेंकने वाले मुनफ ने हफीज को विकेट के पीछे लपकवाकर टीम को दूसरी सफलता दिलवाई। इसके बाद शाफिक ने अनुभवी यूनुस खान [13 रन, 32 गेंद] के साथ स्कोर सौ रन के पार ले गए। पिछले दो मैचों में पचासा ठोकने वाले शाफिक ने यहां भी बढि़या बल्लेबाजी की लेकिन युवराज की गेंद पर वह बोल्ड हो गए। उन्होंने 39 गेंदों में दो चौके के साथ 30 रन बनाए। बल्ले से पूरी तरह असफल रहे युवराज ने यूनुस को रैना के हाथों कैच आउट कराकर टीम को एक और सफलता दिलाई। इसके बाद उमर अकमल ने पारी को कुच संभालते हुए 24 गेंदो पर 1 चौके और 2 छ्क्कों की मदद से 29 रन बनाये। फिर पीच पर आये अब्दुल रज्जाक कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाये और 9 गेंद पर 3 रन बनाकर मुनाफ पटेल के हाथों आउट हो गये। इसके बाद कप्तान शाहिद अफरीदी ने 17 गेंदो में 1 चौके की मदद से 19 रन बनाये। फिर वहाब रियाज ने 14 गेंदो में 8 रन दिये। इसके बाद मिसबाह उल हक ने पारी को काफी संभालते हुए 76 गेंदो में 5 चौके और 1 छ्क्के की मदद से 54 रन बनायें लेकिन उनके आउट होते ही उमर गुल भी 3 गेंद पर 2 रन देकर आउट हो गये।
इससे पहले टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने 50 ओवर खेलकर 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बनाये थे। पाकिस्तान की और से वहाब रियाज ने 5 भारतीय खिलाड़ियों को आउट किया था।
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