Monday, February 7, 2011

"2 लाख करोड़ का घोटाला" शक़ के दायरे में ’इसरो’


नई दिल्ली : हमारा भारत पुराने समय और अन्य देशों के मुक़ाबले जितनी तेज़ गति से प्रगति और विकास की ओर बढ़ रहा है, शायद उससे ज़्यादा तेज़ रफ़्तार से भ्रष्टाचार हमारे देश को घुन की तरह खा रहा है। अभी कुछ समय पहले प्रकाश में आया 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले भी पूरी नहीं हो पाई थी कि अब उससे भी बडा एक नया घोटाला सामने आ रहा है।

सीएजी को संदेह है कि एस-बैंड स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, करीब 2 लाख करोड़ रुपए का है और यह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से भी बड़ा है। पूरे मामले में अंतरिक्ष विभाग और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, इसरो संदेह के घेरे में हैं, इन पर एक निजी कंपनी को बिना नीलामी के बैंड आवंटित करने का आरोप हैं। प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने भी इस घोटाले की पूरी जांच कराए जाने की मांग की।

उल्लेखनीय है कि 2-जी स्पेक्ट्रम में 1.7 लाख करोड़ रुपयों का घोटाला किया गया है लेकिन इसरो में 2 लाख करोड़ रुपयों का घोटाला किये जाने के आसार हैं। अब सीएजी ने इसकी जांच शुरू कर दी है। यह करार 2005 में इसरो की शाखा एंट्रिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड ने निजी कंपनी देवास मल्टिमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ करीब 600 करोड़ रुपए में किया था।

इस डील के बाद देवास मल्टिमीडिया को ब्राडबैंड स्पेक्ट्रम के कुल 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में से 70 मेगाहर्ट्ज बैंड प्राप्त हुए थे। ये बैंड पहले दूरदर्शन के पास थे जो सैटेलाइट और इन 70 मेगाहर्ट्ज बैंड की मदद से देशभर में अपने कार्यक्रम प्रसारित करता था। वर्तमान में इनकी कीमत काफी ज्यादा है।

इस करार के माध्यम से एस बैंड को पहली बार निजी क्षेत्र के लिए खोला गया जिसकी रेंज 2500 से 2690 मेगाहर्ट्ज के बीच है। सीएजी को पुख्ता जानकारी है कि करार करने में न केवल इसरो के नियमों का उल्लंघन किया गया बल्कि प्रधानमंत्री दफ्तर, कैबिनेट और स्पेस कमीशन को भी अंधेरे में रखा गया।

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