
आरबीआई ने वित्त मंत्रालय के सामने प्रस्ताव रखा है कि बचत खाते पर ब्याज दरें तय करने की आजादी पूरी तरह से बैंकों को दे दी जाए। क्योंकि इससे बैंकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही बचत खातों पर ब्याज दरें बढ़ने से बैंक, आम आदमी और सरकार तीनों को ही फायदा होगा। इतना ही नहीं बचत खाते पर ब्याज दरें बढ़ने से बैंकों के पास नगदी बढ़ेगी जिससे बाजार में तरलता का मुद्दा खत्म होगा और महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को भी इससे राहत मिलेगी। आरबीआई चाहता है कि वो दो लाख से ज्यादा के बचत खाते पर ब्याज दरों को विनियंत्रित करे, लेकिन कुछ बड़े बैंक इसका विरोध कर रहे हैं।
हालांकि नगदी की समस्या से जूझ रहे बैंक कई जमाओं पर ब्याज दरें बढ़ा चुके है लेकिन इसके बावजूद बैकों की समस्या का समाधान नहीं हुआ है जिसके चलते अब बैंकों ने बचत खातों पर ब्याज दरें बढ़ाने का मन बनाया है। मौजूदा समय में बचत खातों पर 3.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। आरबीआई के इस नए प्रस्ताव के बाद बैंकों में ब्याज दरों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।
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