Monday, May 9, 2011

अयोध्या विवाद:हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक



नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन पर किसी तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक लगाते हुए आज कहा कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 'हैरान' कर देने वाला है।

हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्‍पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि करीब 67 एकड़ की विवादित जमीन को किसी भी पक्ष ने बांटने की मांग नहीं की थी। ऐसे में विवादित जमीन को तीन हिस्‍सों में बांटे जाने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 'अजीब' और 'चौंकाने' वाला है।

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय हिंदू महासभा, जमीयत उलेमा ए हिंद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में राम जन्मभूमि स्‍थल को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने बहुमत से फैसला किया था कि विवादित भूमि जिसे राम जन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए। वहां से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा।

अदालत के दो जजों न्यायमूर्ति एसयू ख़ान और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने यह फैसला भी दिया था कि इस भूमि के कुछ हिस्सों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए जमीन का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों दे दिया जाए। हालांकि न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा इस फैसले से सहमत नहीं थे और उन्होंने कहा था कि पूरी जमीन हिंदू संगठनों को दे दी जानी चाहिए। लेकिन वक्फ बोर्ड और जमीयत उलेमा के हिंद का कहना है कि ये फैसला सबूतों पर नहीं आस्था पर आधारित है और इसे खारिज कर देना चाहिए। दूसरी ओर अखिल भारतीय हिंदू महासभा की मांग थी कि हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज किया जाए, जिसमें एक तिहाई जमीन मुसलमानों को देने का फैसला किया गया है।


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