Wednesday, May 4, 2011

सुप्रीम कोर्ट में पायलटों का दावा खारिज


नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने देश में पायलटों के अधिकतम उड़ान समय को कम करने के 2007 के एक फैसले को स्थगित रखने संबंधी नागर विमानन महानिदेशालय के निर्णय को मंगलवार को सही ठहराया। शीर्ष न्यायालय ने इस दावे को खारिज कर दिया कि ऐसा करने से विमान सुरक्षा से समझौता होगा।

न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने पायलट एसोसिएशन की इस दलील को खारिज कर दिया कि 2007 के फैसले को स्थगित रखने के निर्णय और 1992 के नियमों को फिर से लागू करने से चालक दल में थकान बढ़ेगी और विमानों की सुरक्षा को खतरा पहुंचेगा।

बहरहाल, पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को नए नियम बनाने की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए ताकि पायलटों के उड़ान घंटों को युक्तिसंगत बनाया जा सके।

निर्णय लिखते हुए न्यायमूर्ति चौहान ने पायलटों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कुछ पायलटों ने बंबई उच्च न्यायालय में 1992 के नियमों का पुरजोर समर्थन करते हुए उन्हें वैज्ञानिक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप करार दिया था।

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