Friday, April 8, 2011

अन्ना नहीं आंधी है, नये युग का गांधी है


नई दिल्ली : जन लोकपाल विधेयक तैयार करने के लिए संयुक्त समिति की मांग को लेकर गांधीवादी विचारक अन्ना हजारे के आमरण अनशन से यूपीए सरकार में घबराहट की सुगबुगाह्ट यूं ही नहीं है। पिछले चार दिनों से अनशन पर बैठे प्रखर गांधीवादी अन्ना हज़ारे ने सरकार के नीति निर्धारकों की नींद उड़ा कर रख दी है। पूरे देश से मिल रहे अपार जन समर्थन ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध इस लड़ाई को और धार दी है।

शुक्रवार को विधेयक तैयार करने के लिए एक अनौपचारिक समिति बनाने और समिति का अध्यक्ष पद किसी गैरसरकारी व्यक्ति को नहीं देने के सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अन्ना हजारे से अनशन खत्म करने की अपील की। इसके कुछ समय बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने आवास पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, मुखर्जी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ करीब एक घंटे तक विचार-विमर्श किया।

गौरतलब है कि अन्ना हजारे एक सख्त लोकपाल विधेयक तैयार करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। सरकार ने विधेयक तैयार करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और सरकारी प्रतिनिधियों की अनौपचारिक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया है। हजारे संयुक्त समिति के लिए अधिसूचना जारी करने और समिति का अध्यक्ष किसी गैर सरकारी व्यक्ति को बनाए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसके लिए उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे. एस. वर्मा या सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े का नाम भी सुझाया है।

अनशन के तीसरे दिन गुरुवार देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अन्ना हजारे से अनशन खत्म करने की अपील की थी। जैसे-जैसे उनका आंदोलन आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उनके साथ लोग जुड़ते जा रहे हैं। अन्ना हजारे के प्रतिनिधियों समाजसेवी स्वामी अग्निवेश व सूचना अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और सरकार की तरफ से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के बीच गुरुवार को दो दौर की बातचीत के बाद रास्ता निकलने के आसार दिखे थे लेकिन शुक्रवार सुबह सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वह समिति के गठन के लिए अधिसूचना जारी नहीं कर सकती।

वहीं, अन्ना ने कहा है कि जब तक उनके शरीर में प्राण हैं तब तक वह अनशन जारी रखेंगे और 12 अप्रैल से पूरे देश में जेल भरो आंदोलन चलाया जाएगा। फ़िलहाल सरकार के अड़ियल रूख के चलते इस मामले में गतिरोध जारी है, लेकिन अन्ना के अनशन ने मानो एक बार फिर पूरे देश को एक जुट कर दिया है।

ख़ालिद हसन
मुख्य संपादक

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