Friday, February 25, 2011

जेपीसी का प्रस्ताव पारित, प्रणब-सुषमा में जमकर हुई बहस


नई दिल्ली : लोकसभा में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए सदन के नेता प्रणब मुखर्जी द्वारा पेश किया गया संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन का प्रस्ताव पारित हो गया है। इस दौरान, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त तकरार भी हुई। समिति में लोकसभा के बीस व राज्यसभा के दस सदस्य होंगे। समिति 1998 यानी एनडीए सरकार के कार्यकाल से संचार नीति की जांच करेगी।

इसके अलावा समिति इसकी भी पड़ताल करेगी कि क्या स्पेक्ट्रम आवंटन में किसी नीति का उल्लंघन हुआ। अभी, समिति के अध्यक्ष का एलान नहीं किया गया है, मगर कांग्रेस नेता वी किशोर चंद्र देव का नाम सूची में सबसे ऊपर होना उनके अध्यक्ष बनने का संकेत माना जा रहा है।

समिति के गठन के दौरान हुई बहस के दौरान सदन के नेता प्रणब मुखर्जी व विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच जमकर तकरार हुई। मुखर्जी ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि विपक्ष की इस मांग के चलते पूरा शीतकालीन सत्र ठप कर दिया गया लेकिन संवैधानिक संस्थाओं के अवमूल्यन के खतरनाक असर हो सकते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने पाकिस्तान में मार्शल लॉ के घटनाक्रम का विस्तार से जिक्र किया। मुखर्जी ने आगाह किया कि अगर विधायिका को कमजोर किया गया तो दूसरी गैर-संवैधानिक संस्थाएं ताकतवर हो जाएंगी।

इसके जवाब में विपक्ष की नेता स्वराज ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का अवमूल्यन विपक्ष ने नहीं, सरकार ने किया। जिसके चलते सदन भी ठप हुआ और सरकार को लगातार कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां भी झेलनी पड़ीं।

इससे पहले स्वराज ने प्रणब के उस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की जिसमें प्रणब ने कहा था कि विपक्ष अगर संसद में यकीन नहीं करता तो माओवादियों में शामिल हो जाए। अपनी बात के समर्थन में स्वराज ने कांग्रेस की ओर से तहलका मामले पर संसद ठप करने की याद दिलाई और पूछा कि क्या कांग्रेस का व्यवहार माओवादी और हिंसक था? हालांकि स्वराज ने बीच-बीच में प्रणब दा की चुटकी भी ली, जिस्से कि माहौल तनावपूर्ण न हो।

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