Tuesday, February 8, 2011

भारतीय भाषाओं को द. अफ्रीकी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग


जोहानसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीय मूल के शिक्षकों के एक समूह ने वहां के शिक्षा मंत्री से मिल कर भारत की पांच भाषाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में तीसरी वैकल्पिक भाषा के तौर पर शामिल करने की गुज़ारिश की है। शिक्षकों द्वारा हिंदी, उर्दू, तमिल, गुजराती और तेलुगू भाषाओं को अफ्रीकी पाठ्यक्रम में शामिल करने की अपील की गई है

शिक्षकों का मानना है कि अगर दक्षिण अफ़्रीक़ी सरकार द्वारा उनकी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया और दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों की पांच प्रमुख मातृभाषाओं को स्कूल के औपचारिक पाठ्यक्रम में स्थान ना मिल पाया तो अगले 50 वर्षो में यह पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। तीस शिक्षकों के एक समूह ने शिक्षा मंत्री से निवेदन किया कि साल 2012 के लिए तैयार किए जाने वाले स्कूलों के संशोधित पाठ्यक्रम में इन भाषाओं को शामिल किया जाए।

हालांकि भारतीय भाषाएं कुछ स्कूलों में पढ़ाई भी जाती हैं, लेकिन इसे केवल पाठ्एत्तर विषय के तौर पर ही मान्यता प्राप्त है और इन भाषाओं का छात्रों के कुल प्राप्ताक में कोई फर्क नहीं पड़ता है। शिक्षकों के समूह के प्रवक्ता प्रधानाध्यापक विष्णु नायडु के मुताबिक़ दक्षिण अफ्रीकी भारतीय अपनी संस्कृति खोते जा रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो अगले 50 वर्षों और इसके बाद हम इसे पूरी तरह से खो सकते हैं, लेकिन औपचारिक तौर पर स्कूली पाठ्यक्रमों में इसे शामिल कर हम अपनी संस्कृति को बचा सकते हैं।

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