Thursday, February 24, 2011

पश्चिम बंगाल: 82 कैदियों ने दी बोर्ड की परीक्षा


कोलकाता : अगर इंसान में कुछ करने की चाह, ख़ासतौर पर पढ़ने की चाह हो तो उसके लिये कोई चीज़ बाधा नहीं बनतीं। पढ़ाई के लिये कोई उमर की सीमा नहीं होती। ना ही कोई बंदिश इसमें आडे आती। इन कहावतों को बंगाल में कुछ क़ैदियों ने सिद्ध कर दिखाया है। पश्चिम बंगाल के विभिन्न सुधार गृहों में बंद पांच नक्सलियों सहित 82 कैदी बुधवार से शुरू हुई राज्य की माध्यमिक बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुए।

अतिरिक्त महानिदेशक व पुलिस महानिरीक्षक (सुधारक सेवाएं) बी.डी शर्मा ने बताया, "82 कैदी पश्चिम बंगाल की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुए। राज्य के सुधार गृह सेवा विभाग के इतिहास में यह एक रिकॉर्ड है। पिछले साल केवल आठ कैदियों ने माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाओं में हिस्सा लिया था।"

बोर्ड की लिखित परीक्षाएं सात मार्च तक चलेंगी, जिनमें करीब 10.04 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे। इनमें से 50 प्रतिशत महिला परीक्षार्थी होंगी। परीक्षा में हिस्सा लेने वाले कैदियों में पांच नक्सली भी शामिल हैं।

बी.डी शर्मा ने जानकारी दी, "छह साल पहले गिरफ्तार किए गए नक्सली नेता संतोष देबनाथ (55) प्रेसीडेंसी सुधार गृह से परीक्षा में शामिल हुए। नक्सली समर्थक जनजातीय समूह पीसीएपीए (पुलिस संत्रास विरोधी जन साधारण समिति) के कोषाध्यक्ष सुखशांति बास्के और उनके तीन साथी प्रसंतो महतो, धृतिरंजन महतो और बिकाश महतो मिदनापुर सुधार गृह में बंद हैं, वे भी इस परीक्षा में शामिल हुए।"

उन्होंने बताया, "82 कैदियों में 11 महिलाएं हैं। ज्यादातर कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। कैदी पढ़ाई करना चाहते थे और सुधार गृह के अधिकारियों ने उन्हें किताबें उपलब्ध करा दीं।"

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