नई दिल्ली: महँगाई की मार से परेशान आम आदमी की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। सरकार के महँगाई को थामने के लिए उठाये जा रहे कदम भी फिलहाल कारगर नजर होते नहीं दिखाई दे रहे हैं।
चाहे दूध, सब्जियां हो या फिर गेहूँ, चावल और दाल इस तरह की रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के लगातार बढ़ते दाम ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। रोज के इस्तेमाल में आने वाली इन चीजों के छलाँग भरने से खाद्य वस्तुओं की महँगाई 25 दिसम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में 3.88 प्रतिशत की लंबी उड़ान भरकर एक वर्ष से अधिक के उच्च स्तर 18.32 प्रतिशत पर पहुँच गई। इतना ही नहीं बेमौसमी बारिश की वजह से 20-21 दिसम्बर को देश में प्याज की कीमतें भी बढ़कर 80 रुपए प्रति किलो पर पहुँच गई थी।
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2011 में महँगाई को थामने के लिए दो गुने प्रयास किए जाने का आश्वासन दिया है वहीं वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की नजर में भी महँगाई का बढ़ना बहुत ही चिंता का विषय है। केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम का कहना है कि महँगाई का डंक, करों के डंक से भी खराब है। हांलाकि प्याज की कीमतों में वृद्धि के बाद सरकार ने डीजल और रसोई गैस के कीमतों में होने वाली वृद्धि के प्रस्ताव को टाल दिया था।
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