Friday, January 21, 2011

तिब्बत-ताईवान पर चीन ने अमेरिका को दिखाई ’औकात’

वाशिगंटन।अमेरिकी दौरे पर गये चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने कहा है कि, वह ताइवान और तिब्बत के मामले पर ज्यादा जोर न दे। हू ने कहा कि उभरती एशियाई शक्ति को सहयोग की जरूरत है, अमेरिका को चीन का सहयोग करना चाहिए।

गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। कैपिटल हिल में सीनियर अमेरिकी सांसदों के साथ चीनी राष्ट्रपति ने विभिन्न महत्तवपूर्ण मसलों पर बातचीत की। बातचीत में आर्थिक और मानवाधिकार का मामला भी उठाया गया। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लियु श्याबाओ को जेल की सजा का मुद्दा भी शामिल था। हू ने एक दूसरे के सम्मान का अनुरोध किया और कहा कि चीनी और अमेरिकी संबंध ऐसे नहीं हैं, जिनमें एक को लाभ और दूसरे को हानि हो।

लेकिन ताइवान और तिब्बत के मसले पर चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका को चेतावने भरे लहज़े में दो टूक कहा कि यह चीन की संप्रभुता और भूभागीय एकता से जुड़े मुद्दे हैं, और इससे चीन के महत्वपूर्ण हित जुड़े हुए हैं।

गौरतलब है कि ताइवान एक स्वशासित द्वीप है। इसकी स्थापना चीन के पराजित राष्ट्रवादियों ने की थी। वहीं, तिब्बत बौद्धों का एक बड़ा भूभाग है जहां चीन ने 1950 में अपने सैनिक भेजे थे। चीन ताइवान और तिब्बत को अपना अभिन्न अंग मानता है। बहरहाल, चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिकी दौरे पर यह पूरी तरह साफ़ कर दिया है कि वह किसी भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं है।

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