Monday, November 1, 2010

साँस के मरीज रहें पटाखों से दूर



नई दिल्ली: दीपावली के दिन पटाखे चलाते समय दमा और साँस की तकलीफ वाले मरीजों को घर के अंदर ही रहना चाहिए क्योंकि पटाखों से निकलने वाले जहरीले धुएँ से उनकी परेशानी और बढ़ सकती है।

चिकित्सकों का कहना है कि पटाखे जलाने से वातावरण में बारूद के सूक्ष्म कण फैल जाते हैं जिससे लोगों को साँस लेने में परेशानी और आँखों और नाक में जलन जैसी समस्या हो सकती है। राजधानी दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या कुमारी का कहना है कि छोटे बच्चों को कभी भी अकेले पटाखे नहीं चलाने देना चाहिए। पटाखे चलाते समय कोई बड़ा व्यक्ति हमेशा उनके साथ होना चाहिए। बच्चे चंचल होते हैं और उन्हें खतरे का आभास भी नहीं होता। वे कई बार पटाखों से खिलवाड़ करने लगते हैं जिससे उनके घायल होने का खतरा बन जाता है।

उन्होंने कहा कि पटाखों से निकला जहरीला धुआँ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इस धुएं से छोटे बच्चों को बचाना चाहिए। छोटे बच्चों को फुलझड़ी जैसे कम खतरनाक पटाखे ही दिए जाने चाहिए। इसके अलवा यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे पटाखे छोड़ते समय सूती कपड़े पहने क्योंकि पॉलिएस्टर, सिंथेटिक, नायलॉन आदि के वस्त्र आग जल्दी पकड़ते हैं। त्वचा जलने पर उसे तत्काल ठंडे पानी से धोकर कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। यदि त्वचा अधिक जल गई है तो तत्काल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

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