मनीला: एशिया का नोबेल कहे जाने वाले 'रैमन मैगसायसाय' पुरस्कार के लिए इस साल दो भारतीयों नीलिमा मिश्रा और हरीश हांडे को चुना गया है। इस बार कुल छह लोगों को यह पुरस्कार दिया जाएगा।
महाराष्ट्र में गरीबों को कर्ज देने वाली मिश्रा और सौर लाइट के इस्तेमाल की तकनीक भारत में लाने वाले हांडे को इस पुरस्कार के लिए चुना गया। पुरस्कार फाउंडेशन की अध्यक्ष कामेनसिता टी अबेला ने ऐलान किया, कि दोनों ने सुरक्षित तकनीक से अपने देशवासियों के उत्थान में मदद की और पूरे एशिया में बदलाव की बयार पैदा की। यहां की कल्याणकारी संस्था एआईडीएफआई, इंडोनेशिया के दो लोगों हसनैन जुआनी, त्राई मुमपुनी एवं कंबोडिया में लोकतंत्र बहाली के लिए काम कर रहे कॉल पनाह को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
इन लोगों को 31 अगस्त को मनीला में प्रमाणपत्र, पदक और नकद रशि प्रदान की जाएगी। यह पुरस्कार फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रैमन मैगसायसाय के नाम से दिया जाता है। उनकी 1957 में एक विमान हादसे में मौत हो गई थी। हांडे एक सौर इलेक्ट्रिक लाइट से जुड़ी कंपनी के मालिक हैं, जो 1,20,000 घरों में रोशनी पहुंचा रही है। इससे पहले कई भारतीयों आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, मदर टेरेसा, अरुण शौरी, टीएन सेषन और किरण बेदी को यह पुरस्कार मिल चुका है।