नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) के अध्ययन में सामने आया है कि भारत में कुल तम्बाकू खपत में सिगरेट की हिस्सेदारी 5.7 प्रतिशत है। इससे बड़ा हिस्सा तम्बाकू खाने और बीड़ी पीने वालों का है जो घरेलू खपत का कुल 35 प्रतिशत तंबाकू चट कर जाते हैं।
भारतीय तंबाकू संस्थान (टीआईआई) के मुताबिक भारत में तंबाकू खपत दुनिया के अन्य देशों की तरह नहीं है। अन्य देशों में औसतन 90 प्रतिशत तंबाकू की खपत सिगरेट के द्वारा होता है। संस्थान के मुताबिक खपत में यह विभिन्नता मुख्य रूप से कर नीति की वजह से है। पीने और खाने दोनों तरह के तंबाकू समान रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। टीआईआई के मुताबिक सिगरेट का कुल तंबाकू खपत में 5.7 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि तंबाकू पर कर का 70 प्रतिशत हिस्सा सिगरेट से आता है।
टीआईआई के निदेशक उदयन लाल ने कहा कि सिगरेट पर एक्स कारखाने कीमत पर लगभग 150 से 260 प्रतिशत कर लगाया जाता है। भारत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रुप में सिगरेट पर सर्वाधिक कर लगाने वाले देशों में शामिल है। दूसरे तंबाकू उत्पादों की तुलना में सिगरेट पर 16 गुना अधिक कर लगाया जाता है।
टीआईआई के मुताबिक सिगरेट पर अधिक कर लगने से तंबाकू के कुल खपत में सिगरेट की हिस्सेदारी घटी है। लेकिन कुल तंबाकू खपत वास्तविक रूप में बढ़ रहा है। फिर भी नीतियों और कर प्रावधानों के समीक्षा के लिए सरकार और ध्रूमपान विरोधी संस्थाओं द्वारा इसे मापदंड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं इस तरह की नीतियों की वजह से सिगरेट का गैर-कानूनी व्यापार बढ़ रहा है। गैर-कानूनी ढंग से सिगरेट के कारोबार करने वाले देशों में भारत का स्थान छठा है। वर्ष 2004-2009 के दौरान सिगरेट के अवैध बिक्री में 57.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। टीआईआई भारत में तंबाकू किसानों, तंबाकू निर्यातकों, विनिर्माताओं, कारोबारियों और दूसरे संबंधित उद्योगों का प्रतिनिधित्व करता है।
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