पिछले छह सालों से भारतीय अमेरिकी अनुसंधान कर्ता और अध्ययन के अगुवा एरी श्रीवात्सन और कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के जॉनसन कैंसर सेंटर में कार्यरत प्रो. डॉ. मैरीलिन चांग हल्दी में पाए जाने वाले करकुमीन के गुणों का अध्ययन कर रहे हैं।
इस अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि गुणकारी हल्दी में पाए जाने वाले करकुमीन को जब सिसप्लाटिन दवा में मिलाया जाता है तो इससे सिर और गले के कैंसर का इलाज ज्यादा असरकारक हो जाता है। दक्षिण और पश्चिम एशिया में हल्दी का काफी इस्तेमाल होता है और यह अपने चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है। पहले के अध्ययनों में पाया जा चुका है कि यह कुछ खास तरह के कैंसर को रोकने में प्रभावी होता है।
श्रीवात्सन ने कहा कि भारत में महिलाएँ सालों से हल्दी का इस्तेमाल करती रही हैं। उम्र के बढते प्रभाव को कम करने के लिए वे उसे अपनी त्वचा पर लगाती हैं। घावों को भरने में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। स्वांग ने कहा कि सिर और गले के कैंसर और खासतौर पर बाद की अवस्था में पड़ताल किए गए कैंसर खतरनाक होते हैं। इसमें बड़े स्तर की सर्जरी और कीमोथरेपी की जरूरत होती है।
No comments:
Post a Comment